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गप्पू गोला

गप्पू गोला बेहद मज़ेदार कविता है जिसमें लोकजीवन के खेल-गीतों की तरह बात से बात निकलती जाती है। ढीले छंद लेकिन कसी हुई लय में, प्रायः तुकों का प्रयोग करते हुए,यह कविता सहज ही अपने साथ लिए चलती है। भाषा बोलचाल की है, लेकिन कल्पना की उड़ान के लिए हमेशा पंख खोले। इसके चित्र पूरे पन्नों पर फैले शोख़ रंग वाले हैं। यह किताब ऐसे बनी है मानो कोई खिलौना हो।कविता की भाँति ही किताब भी पन्ना दर पन्ना खुलती जाती है, किसी प्राचीन पांडुलिपि की तरह।

प्रथम बुक्स 2023 जितेन्द्र भाटिया विष्णु एम. नायर