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ओ पेड़ रंगरेज़

इस क़िताब में आपको चित्रों में कवितायेँ और कविताओं में चित्र मिलेंगे। यह तो हम जानते हैं कि पेड़ कितने ज़रूरी हैं पर शायद पेड़ों को रंगरेज़ की तरह न देखा हो। यह किताब प्रकृति का ‘शेड कार्ड’ है। बसंत में कचनार, जकरन्दा और सिल्क फ्लॉस से रंगी जमीन की याद दिलाती है। हर रंग से पहले सुशील शुक्ल की कविताएँ प्रकृति को और करीब ले आती हैं। सड़क और घर के दीवारों पर फैले बोगनविलिया से रिश्ता ही बदल जाता है। फूलों और फलों से रंग बनाने की विधि काफ़ी स्पष्ट है और आपको प्रयोग करने के लिए आमंत्रित ज़रूर करेगी।

एकलव्य 2022 कनक शशि कनक शशि