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गप्पू गोला

गप्पू गोला बेहद मज़ेदार कविता है जिसमें लोकजीवन के खेल-गीतों की तरह बात से बात निकलती जाती है। ढीले छंद लेकिन कसी हुई लय में, प्रायः तुकों का प्रयोग करते हुए,यह कविता सहज ही अपने साथ लिए चलती है। भाषा बोलचाल की है, लेकिन कल्पना की उड़ान के लिए हमेशा पंख खोले। इसके चित्र पूरे पन्नों पर फैले शोख़ रंग वाले हैं। यह किताब ऐसे बनी है मानो कोई खिलौना हो।कविता की भाँति ही किताब भी पन्ना दर पन्ना खुलती जाती है, किसी प्राचीन पांडुलिपि की तरह।

प्रथम बुक्स 2023 जितेन्द्र भाटिया विष्णु एम. नायर

बेटियाँ भी चाहें आज़ादी

‘बेटियाँ भी चाहें आज़ादी’ ताक़त और विश्वास के साथ स्त्रियों की हरसंभव स्वाधीनता की उद्घोषणा करती है। यहाँ साधारण से लगने वाले वाक्य भी नारों जैसी तात्कालिकता और ओजस्विता प्राप्त कर लेते हैं।जीवन के हर क्षेत्र में हर तरह की आज़ादी के बग़ैर स्त्री-पुरुष समानता संभव नहीं है।यह किताब संविधान प्रदत्त अधिकारों और मन की बात कहने की आज़ादी की माँग करती है।आकर्षक चित्रों से सज्जित यह किताब बेटियों की पू्र्ण स्वाधीनता का घोषणा-पत्र है।

प्रथम बुक्स 2021 कमला भसीन सृजना श्रीधर