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क़ुतुबमीनार का पेड़

क्या आपको पता था कि कभी कौआ क़ुतुब मीनार को अपनी साइकिल पर लाद ले गया था? या कि जब पापा को डॉक्टर के पास जाना पड़ा था तो क्या ग़ज़ब हुआ था? यह कहानी संकलन गुदगुदाता भी है और लोकजीवन की झलकियाँ भी देता है। भाषा का कमाल, शब्दों का खेल और संवाद गठे हुए तथा नुकीले हैं। इसके चित्र रंग बिरंगे हैं और कहानियों को ठोस या मूर्त बनाने में मदद करते हैं। चित्रों में कहानियों जैसी गतिशीलता है।

इकतारा, जुगनू प्रकाशन 2023 प्रभात कविता सिंह काले

जिसके पास चली गयी मेरी ज़मीन

यह अनूठी पुस्तक एक खेतिहर की कथा कहती है जिसकी ज़मीन छिन कर दूसरे के पास चली गयी है और उसी के साथ बादल, बारिश, सुगंध और मल्हार भी विदा हो गये हैं। अपने बिम्बों तथा संगीत के ज़रिए सब कुछ खोने की अनुभूति को यह कविता मार्मिकता से व्यक्त करती है। रंग -बिरंगे चित्र वातावरण को बखूबी व्यक्त करते हैं। यह कविता दूसरों के दुख और पीड़ा के साथ तादात्म्य स्थापित करने का उदाहरण है।

जुगनू प्रकाशन 2021 नरेश सक्सेना कविता सिंह काले

अम्मा

यह चित्र कथा एक मेले में अम्मा के खोने, और बच्चे द्वारा अम्मा को तलाशने की कहानी है। यह कहानी मेले के बहुरूप चित्रों के माध्यम से मेले का विस्तृत व बहुसांस्कृतिक परिवेश गढ़ती है। अम्मा को खोजते बच्चे का कुछ सोचना और फ़िर भागकर महिला पुलिस से पूछना ‘क्या आपने इस मेले में एक ऐसी अम्मा को देखा, जिसके पास मेरे जैसा बच्चा नहीं है?’ सवाल से बच्चे की त्वरित सूझबूझ और सहज भोलेपन का जो रूप उभरता है, वह इसे एक दिलचस्प व नायाब रचना बनाता है।

जुगनू प्रकाशन 2021 कविता सिंह काले कविता सिंह काले