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किताब का नाम – नया स्वेटर
लेखक – पप्तु धुर्वे
चित्रांकन – सौम्या मेनन
प्रकाशक – मुस्कान और एकलव्य का साझा प्रकाशन
यह एक छोटी बच्ची की कहानी है जो कबाड़ बीनती है| वह छोटी बच्ची है लेकिन परिवार में उसकी भूमिका वयस्कों के समान है| रोज सुबह वह बीनने निकलती है बीना हुआ माल बेचकर जितना भी पैसा मिलता है उसमें से अपनी जरुरत के लिए कुछ पैसा बचाकर बाकी अपनी माँ को देती है| यह स्थिति सिर्फ पप्तु की नहीं वरन उन सभी बच्चों की होती है जो कामकाजी हैं|
मुश्किल स्थिति के बावजूद ये बच्चे छोटे छोटे सपने देखते हैं और खुद ही उनको पूरा भी करना चाहते है। नया स्वेटर पप्तु के छोटे से सपने पर आधारित कहानी है जो हमें इन बच्चों के जीवन की झलक देती है।
यह कहानी मैंने अपनी बेटी को सुनाई थी जब वो 3 वर्ष की थी| उसे यह कहानी बहुत पसंद थी क्योंकि उसके चित्र इतने रंगीन है की देखते ही बच्चों को आकर्षित करते हैं। वो शब्दों को पढ़ना नहीं जानती थी पर चित्रों को पढ़कर कहानी सुनाया करती थी। अब मेरी बेटी 6 साल की है, खुद कहानी पढ़ने के बाद उसका पहला प्रश्न था कि पप्तु के मम्मी पापा उसे स्वेटर क्यों नहीं दिलाते? जो कि एक मध्यम बना उसे पप्तु और उसकी ही तरह और बच्चों के बारे में बताने का।
जो बच्चे इस परिवेश से परिचित नहीं है उनके लिए यह कहानी पप्तु की तरह अन्य बच्चों के जीवन से जुड़ने के अवसर निर्मित करती है।
वे बच्चे जो कामकाजी हैं उन्हें यह कहानी बहुत पसंद आती है| कहानी के उपरान्त वे खुद ही अपने सपने बताने लगते हैं और लिखते हैं।
हांलाकि इसके चित्र बस्ती और परिवेश की वास्तविक स्थिति बयाँ नहीं करते फिर भी मुझे पसंद हैं क्योंकि अपने अनुभवों में मैंने यह पाया है कि बच्चे जब कुछ खुदसे जुड़ा हुआ पढ़ते हैं तो वह उन पात्रों में खुदको तलाशते हैं इस स्थिति में रंग उन्हें एक सकारात्मक माहौल महसूस कराते हैं।
मुखर वाचन के साथ ही सरल छोटे वाक्यों वाली यह कहानी नए पाठकों के स्वतंत्र पठन के लिए एक उम्दा कहानी है|
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